परमशान्ति का मार्ग – भाग-1 (Param Shanti ka Marg volume-1)

20.00

इस पुस्तक में परम श्रद्धेय ब्रह्मलीन श्रीजयदयाल गोयन्दका द्वारा शास्त्रीय दृष्टि से धर्म युक्त उन्नति, प्राचीन सिद्धान्तों की उपादेयता, वर्तमान पतन तथा उससे बचने के उपाय, परम पुरुषार्थ इत्यादि विषयों का सुन्दर विवेचन है।

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