जित देखूँ तित तू (Jit Dekhun Tit Tu)

15.00

इस पुस्तक में सब कुछ भगवान् ही हैं; गीता के इस महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त का प्रतिपादन करते हुए श्रद्धेय स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज ने भक्ति की श्रेष्ठता, अनिर्वचनीय प्रेम, संयोग, वियोग और योग आदि अनेक महत्त्वपूर्ण विषयों पर उपयोगी दृष्टान्तों के माध्यम से सुन्दर विवेचन किया है।

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