आदर्श देवियाँ (Adarsh Deviyan)

7.00

ब्रह्मलीन श्री जयदयाल जी गोयन्दका द्वारा पराम्बा, सीता, देवी कुन्ती, द्रौपदी, गान्धारी के जीवन-चरित्र का अनूठा चित्रण, जिसमें उनके पति-प्रेम, पति-सेवा, त्याग, सहिष्णुता, निर्भयता आदि गुणों के विषय में ऐसा मनोहर वर्णन किया गया है जिसे पढ़कर आँखों से प्रेमाश्रु छलक पड़े।

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