कल्याण के इस विशेषांक में नौ प्रमुख उपनिषदों - (ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, माण्डूक्य, ऐतरेय, तैत्तिरीय एवं श्वेताश्वतर) का मूल, पदच्छेद, अन्वय तथा व्याख्या सहित संकलन है। इसके अतिरिक्त इस में 45 उपनिषदों का हिन्दी-भाषान्तर, ...
इस पुस्तक में गोलोकवासी श्री हनुमानप्रसाद जी पोद्दार द्वारा सरल भाषा में ज्ञान-विज्ञान से परिपूर्ण चौदह रत्नों के रूप में उपनिषदों के चुने हुए चौदह चरित्रों का सर्वजनोपयोगी प्रकाशन किया गया है।
कहानियाँ मनुष्य-जीवन में प्रेरणास्रोत का कार्य करती हैं। इस पुस्तक में भला आदमी, सच्चा लकड़हारा, दया का फल, मित्र की सलाह, अतिथि-सत्कार आदि 36 प्रेरक कहानियों का अनुपम संग्रह है। सरल तथा रोचक भाषा में संगृहीत ...
महात्माओं की महिमा अवर्णनीय है। उनका मुख्य कार्य संसार से अज्ञानान्धकार नाश कर के विमल ज्ञान का प्रकाश करना है। महात्माओं का संसार में निवास लोक-कल्याण के लिये ही होता है। प्रस्तुत पुस्तक ऐसे ही एक ...
श्री पारसनाथ सरस्वती के द्वारा प्रणीत यह पुस्तक जीवन में उच्च आदर्शों की स्थापना में सुन्दर सहायिका है। इस में एक लोटा पानी, बलिदान, मूर्तिमान् परोपकार, भक्त रविदास, अहिंसा की विजय आदि 24 कहानियों का अनुपम ...
ऋग्वेदीय ऐतरेयारण्यक खण्ड के अध्याय 4, 5, 6 का नाम ऐतरेयोपिनषद् है। ब्रह्मविद्या प्रधान इस उपनिषद में संन्यास और ज्ञान को ही मोक्ष का हेतु बतलाया गया है। सानुवाद, शांकरभाष्य।
कृष्ण यजुर्वेद के कठशाखा के अंश इस उपिनषद में जहाँ यम-नचिकेता-संवाद के रूप में ब्रह्मविद्या का विशद वर्णन सुबोध और सरल शैली में किया गया है, वहीं इसमें वर्णित नचिकेता-चरित्र पितृ-भक्ति का अनुपम आदर्श है। सानुवाद, ...
श्रीमद्भागवत के दशम स्कन्ध के आधार पर लिखी गयी चित्रकथा के इस भाग में भगवान् श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर माखन-लीला तक की नौ लीलाओं का सरल भाषा में सजीव चित्रण किया गया है। कथा की ...
यह पुस्तक कल्याण में पूर्व प्रकाशित सत्य घटनाओं का कलेजेके अक्षर, कर्जका भय, उपकार, अमृत का प्रवाह, भक्त की ईमानदारी, नमक की महिमा आदि 55 प्रेरक प्रसंगों के रूपमें अनुपम चित्रण है।
यह विशेषांक भारतीय संस्कृतिके विभिन्न पक्षों – हिन्दू-धर्म, दर्शन, आचार-विचार, संस्कार, रीति-रिवाज पर्व-उत्सव, कला-संस्कृति और आदर्शोंपर प्रकाश डालनेवाला तथ्यपूर्ण बृहद् (सचित्र) दिग्दर्शन है। भारतीय संस्कृतिके उपासकों, अनुसन्धानकर्ताओं और जिज्ञासुओंके लिये यह अवश्य पठनीय तथा उपयोगी दिशा-निर्देशक ...
कर्तव्य-कर्म का समुचित रीति से पालन करते हुए अधिकार और फलासक्ति का त्याग कर भगवत्प्राप्ति का उद्देश्य वाला व्यक्ति स्वतः मुक्त है। स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज द्वारा प्रस्तुत यह पुस्तक कल्याण-पथ-पथिकों हेतु योग्य मार्गदर्शक है।