त्याग और परोपकार के मूर्तिमान् स्वरूप महाराजा रन्तिदेव, राजा शिबि आदि भक्तों के चरित्र का प्रस्तुत पुस्तक में ऐसा हृदयहारी चित्रण है कि इसे पढ़ने पर पाठकों के मन में सद्गुणों की अमिट छाप पड़ने के ...
यह पुस्तक कल्याण में 'पढ़ो, समझो और करो' शीर्षक के अन्तर्गत प्रकाशित सत्य घटनाओं का आदर्श मानव-हृदय, आदर्श आत्म-बलिदान, नमक का बदला, बहू का आदर्श त्याग आदि 65 प्रसंगों के रूपमें सुन्दर संकलन है। ये घटनाएँ ...
रोग-शोक का निवारक और शत्रुओं पर विजय दिलाने वाले आदित्यहृदयस्तोत्र की उपयोगिता देखकर बन्धुओं को अर्थ सहित पाठ की सुविधा प्रदान करने के लिये इसमें मूल के साथ हिन्दी और अंग्रेजी में अनुवाद दिया गया है।
मनुष्य अपने व्यवहार द्वारा एक-दूसरे के सुख-दुःख में सहयोगी बनकर किस प्रकार इस धरा-धाम को स्वर्गीय सुख में परिवर्तित कर सकता है, इस विषय को गोलोकवासी श्री हनुमानप्रसाद जी पोद्दार द्वारा प्रणीत इस पुस्तक में बड़े ...
इस पुस्तक के प्रारम्भ में आरती की उपयोगिता के साथ भगवान् श्रीगणेश, श्रीजगदीश्वर, श्रीलक्ष्मी, श्रीशिव, श्रीजानकीनाथ, श्रीकृष्ण, श्रीराधाजी, श्रीगंगाजी, श्रीहनुमानजी आदि की सुन्दर आरतियाँ दी गयी हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज ने विद्या प्राप्त करने की कला एवं विद्यार्थियों-हेतु पालनीय नियमों का प्रश्नोत्तर शैली में बड़ा ही सुन्दर विश्लेषण किया है। इसके अतिरिक्त इस में सन्तान के कर्तव्य और ...
समस्त अद्भुत सिद्धियाँ मनुष्य के मन और आत्मा में निवास करती हैं। सतत पुरुषार्थ तथा उद्योग का आश्रय ग्रहण कर के व्यक्ति सफलता के शिखर पर पहुँच सकता है। इस पुस्तक में डॉ. रामचरण महेन्द्र के ...
मनुष्य को देश, काल, पात्र की प्रतीक्षा किये बिना तत्काल इसी जन्म में परमात्मा की प्राप्ति-हेतु संलग्न हो जाना चाहिये। इस भावना को जीवन्त करनेवाले सेठजी श्री जयदयालजी गोयन्दका के चुने हुए लेखों का अद्भुत संग्रह।
इस पुस्तक में ईश, केन, कठ, मुण्डक, माण्डूक्य, ऐतरेय, तैत्तिरीय तथा श्वेताश्वतर उपनिषद्के मन्त्र, मन्त्रानुवाद, शाङ्करभाष्य और हिन्दी में भाष्यार्थ एक ही जिल्द में प्रकाशित किया गया है। यह पुस्तक संस्कृत के विद्यार्थियों तथा ब्रह्मज्ञान के ...
विषय की दृष्टि से वेदों के तीन विभाग हैं- कर्म, उपासना और ज्ञान। इसी ज्ञानकाण्ड का नाम उपनिषद् या ‘ब्रह्मविद्या’ है। तत्त्व जिज्ञासुओं के कल्याणार्थ इस पुस्तक में नौ उपनिषद् (ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, माण्डूक्य, ...
उपनिषदों में ईशावास्योपनिषद् का सर्वप्रथम स्थान है। यह शुक्ल यजुःसंहिता के ज्ञानकाण्ड का चालीसवाँ अध्याय है। कलेवर में छोटी होते हुए भी यह तत्त्वज्ञान का अक्षयकोश है। सानुवाद, शांकरभाष्य।
देश-विदेशके विभिन्न संतों, विचारकोंद्वारा ईश्वरको माननेका कारण, ईश्वरके अस्तित्वपर शास्त्रीय और अनुभवी प्रमाण आदि अनेक महत्त्वपूर्ण विषयोंपर लिखे गये लेखोंका अद्भुत संग्रह।
प्रस्तुत पुस्तक कल्याण में 'पढ़ो, समझो और करो' शीर्षक में पूर्व प्रकाशित सत्य घटनाओं का संग्रह है। इस में उपकार का बदला, दरिद्र की सेवा, कृतज्ञता, भगवान का वरदान, गुप्त-दान आदि मानव-जीवन में सात्त्विकता का संचार ...